नाथ नगरी कॉरिडोर के खंभों पर त्रिशूल लगाए जाने को लेकर बरेली के मौलाना ने कहा कॉरिडोर “नाथ नगरी” के नाम से नहीं, बल्कि “आला हजरत” के नाम से जाना जाना चाहिए।

बरेली में बन रहे नाथ नगरी कॉरिडोर को लेकर विवाद छिड़ गया है, खासकर खंभों पर त्रिशूल और अन्य धार्मिक प्रतीक लगाए जाने को लेकर। इस परियोजना का उद्देश्य शहर के सात प्रमुख शिव मंदिरों को जोड़ना और क्षेत्र का सौंदर्यकरण करना है। हालांकि, इन खंभों पर त्रिशूल और ॐ जैसे धार्मिक प्रतीकों को देखकर मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्ग नाराज हो गए हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना है कि सरकारी संपत्तियों पर त्रिशूल जैसे धार्मिक प्रतीकों का लगाना एक धर्म विशेष को बढ़ावा देना है, जो धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। मौलाना ने यह भी मांग की कि नाथ नगरी कॉरिडोर के नाम के साथ-साथ शहर की अन्य ऐतिहासिक हस्तियों के नाम पर भी सड़कों और पार्कों का नामकरण किया जाए।

मौलाना ने चेतावनी दी कि अगर त्रिशूल नहीं हटाए गए, तो वे इस्लामिक झंडे लगाने का कदम उठा सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कदम से सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है और यह देश के बहुधार्मिक ताने-बाने के खिलाफ है।

वहीं, हिंदू धर्मगुरुओं का कहना है कि त्रिशूल और ॐ जैसे प्रतीकों का इस्तेमाल बरेली की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है। आचार्य संजीव कृष्ण गौड़ ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि नाथ नगरी को त्रिशूल और ॐ से सजाना इसमें कोई गलत बात नहीं है, बल्कि यह शहर के विकास और पर्यटन के लिए फायदेमंद हो सकता है।

नाथ नगरी कॉरिडोर के तहत बरेली के सात प्रमुख शिवालयों को एक 32 किलोमीटर लंबे मार्ग से जोड़ा जाएगा, साथ ही इस परियोजना में साइनेज, मैप लोकेटर, थीम आधारित वॉल पेंटिंग और लैंडस्केपिंग जैसी गतिविधियां भी शामिल हैं। सरकार का दावा है कि यह परियोजना न केवल बरेली को नई पहचान देगी, बल्कि यहां के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

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