दिल्ली, जो भारत की राजधानी है, अक्सर ही सुने होगे की सर्दियों में प्रदूषण के उच्चतम स्तर तक पहुँच जाती है। हर साल, नवंबर से जनवरी तक, दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखी जाती है। इस समय प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन जाता है। सर्दी में प्रदूषण के बढ़ने के कारण कई हैं, जिनमें मौसम, मानवीय गतिविधियाँ और प्राकृतिक कारक शामिल हैं।
सर्दियों में दिल्ली में हवा का दबाव बढ़ने और वायुमंडलीय स्थितियों के कारण प्रदूषक कण ऊपर नहीं उठ पाते, जिससे वे शहर में ही इकट्ठे हो जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप, हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है।
दिल्ली में सर्दी के मौसम में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण ठंडी हवा की गति कम होना है, जिससे प्रदूषक कणों का निस्तारण नहीं हो पाता और वे वायुमंडल में इकट्ठा हो जाते हैं। इस दौरान धुंध (smog) की स्थिति भी बन जाती है, क्योंकि ठंडी और नमी वाली हवा प्रदूषण को अधिक समय तक हवा में बनाए रखती है। इसके कारण PM2.5 और PM10 कणों की सांद्रता बहुत बढ़ जाती है।
इसके अलावा, सर्दियों में उत्तर भारत के खेतों में पराली जलाने की प्रक्रिया भी प्रदूषण को बढ़ाती है। हर साल अक्टूबर से नवम्बर तक किसान पराली जलाते हैं, जिससे दिल्ली की हवा में अत्यधिक धुआं और हानिकारक गैसें फैलती हैं। इस प्रदूषण को नियंत्रित करने में मुश्किल होती है, क्योंकि यह हवा में लंबे समय तक बना रहता है और लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती है।
सर्दी में वाहन प्रदूषण भी एक महत्वपूर्ण कारण है। ठंड के मौसम में ट्रैफिक जाम और वाहन की अधिकता के कारण डीजल और पेट्रोल से निकलने वाले हानिकारक तत्व वायुमंडल में मिलते हैं। इसके अलावा, लोग घरों में हीटर और दीप जलाते हैं, जिनसे भी प्रदूषण फैलता है। कुल मिलाकर, सर्दी के मौसम में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि विभिन्न स्रोतों से होती है, जिससे दिल्ली की हवा और भी खराब हो जाती है।